Que & Ans with Sri Sri:
प्रश्न : प्रिय गुरूजी, आपने बताया था कि भिन्न प्रकार के प्राणा होते हैं, क्या आप कृपया इसके बारे में और बता सकते हैं?
श्री श्री : -
दस प्रकार के प्राणा होते हैं| इन में, पांच प्रधान होते हैं और पांच अप्रधान|आज मैं पांच प्रधान प्राणों के बारे में बात करूँगा|
पहले प्रमुख प्रकार को प्राणा कहते हैं, जो आपकी नाभि से ऊपर सर की ओर आता है| एक और प्रकार का प्राणा जो नाभि से नीचे की ओर जाता है, उसे अपान कहते हैं| जब प्राणा बहुत अधिक होता है, तो आप सो नहीं सकते; आपको अनिद्रा हो जाती है और आप उखड़े हुए महसूस करते हैं|
परन्तु, यदि अपान का स्तर बहुत अधिक हो, तो आप इतने थके हुए महसूस करते हैं कि आप बिस्तर से उठना भी नहीं चाहते| क्या आपने इसका अनुभव किया है? कभी कभी आप इतना भारी और थका हुआ महसूस करते हैं| यह अपान के असंतुलन से होता है|
तीसरे प्रकार का प्राणा होता है समान, जो हमारे पाचन तंत्र में, अर्थात हमारे पेट में, पाचन अग्नि की तरह होता है| यही अग्नि भोजन के पाचन में सहायक होती है| समान पाचन और बाकि शारीरिक क्रियाओं में सहायक होता है|
फिर उदान वायु या उदान प्राणा जो दिल के पास होता है और हमारी भावनाओं के लिए जिम्मेवार होता है| सुदर्शन क्रिया में कुछ लोग रोने लगते हैं, कुछ हँसते हैं और आप पाते हैं कि आपकी भावनाएं उमड़ पड़ती हैं| यह उदान वायु के कारण होता है| तो, उदान वायु सब भावनाओं के लिए जिम्मेवार है|
पांचवा प्राणा व्याना कहलाता है, जो शरीर की सारी हरकत के लिए जिम्मेवार होता है| यह सारे शरीर में फैला होता है|
सुदर्शन क्रिया में आप कुछ सनसनी, कुछ ऊर्जा सारे शरीर में महसूस करते हैं| क्या आपने यह अनुभव किया है?
सुदर्शन क्रिया में पाँचों प्राणा संतुलित हो जाते हैं इसीलिए, आप रोने लगते हैं, या हँसते हैं और पूरे शरीर में एक झुनझुनाहट महसूस होती है| और क्रिया के बाद बहुत भूख भी लगती है, है ना?
तो हमारे शरीर के यह पांच प्राणा हमारे जीवन को चलाते हैं|
यदि समान असंतुलित है, तो पाचन रोग होते हैं और आप भोजन ठीक से नहीं पचा पाते, या आपका दिल मिचलाता है| यह सब समान के असंतुलन से होता है|
जब उदान प्राणा अटका होता है तो आपको भावुकता पर रोक महसूस होती है और यह आपकी सोच और मन को भी प्रभावित करता है|
जब व्याना जो सारे शरीर में होता है वह असंतुलित हो तो जोड़ों का दर्द, चलने में कठिनाई होती है, या आप बेचैन और झुंझलाए रहते हैं, या आपका मन नहीं करता कुछ करने को| ऐसी अवस्था में चलने फिरने से बहुत कष्ट होता है और पूरे शरीर में बैचैनी पैदा होती है| यह सब व्याना के असंतुलन से होता है|
सुदर्शन क्रिया के बाद आपने देखा होगा सारा असंतुलन चला जाता है| क्या ऐसा नहीं हुआ आपके साथ? शरीर की हलचल में या संचार में होने वाले कष्ट, और सारे दर्द सब सुदर्शन क्रिया के बाद समाप्त हो जाते हैं|
तो यह हैं पांच प्रमुख प्राणा| ऐसे ही पांच अप्रमुख प्राणा भी हैं, पर हम किसी और समय उनकी बात करेंगे|
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