केन उपनिषद्
पृष्ठ ३०
अध्याय ०६
अनन्त की अनुभूति
प्रश्न : गुरुजी, क्या हमारी बुद्धि केवल तभी काम करती है जब उसमें पहले से स्मृतियाँ संग्रहित हो या फिर वह ऐसे भी काम करती है ?
श्री श्री : बुद्धि की एक अनुठी विशेषता यह है कि वह न सिर्फ स्मृति से बल्कि मन से भी जुड़ी होती है । इसी कारण वह नई जानकारियों को ग्रहण करती है । वह स्मृति से भी संबंधित है जिसमें पहले से संग्रहित जानकारियाँ है और इसके साथ ही साथ वह चेतना से भी जुड़ी है जो अंतर्ज्ञानी होती है । इस तरह से बुद्धि मध्य में है - वह बाहर से ग्रहण करती है,भीतर से पुरानी स्मृतियों से ग्रहण करती है और थोड़ा बहुत हमारे गहराई में छुपे हुए ज्ञान से लेती है । इस तरह से बुद्धि हमारे विश्व मे बहुत सारी नवीनताओं का सृजन करती है । एक नयी कविता न तो हमारी स्मृति से जन्म लेती है न ही हमारे अनुभव की छाप से बल्कि हमारे अंतर्ज्ञान से पैदा होती है । एक वैज्ञानिक आविष्कार कैसे होता है ? एक शोधकर्ता यह जानता है कि जब बुद्धि जागृत होती है तो अपनी इंद्रियों से जानकारी प्राप्त करके, अपने भीतर की स्मृति से और अपने भीतर गहराई में बसे अंतर्ज्ञान का उपयोग कर एक नये आविष्कार को जन्म देती है । जब तक इन तीनों का संयोग एक साथ होता है तो चमत्कारी ढंग से एक आविष्कार होता है । जैसे- कम्प्युटर या कंप्युटर चिप का आविष्कार । ऐसा संयोग केवल चेतना की कृपा से ही संभव है । हम इसे कृपा कहते है क्योंकि हमारी चेतना अगाध और अपार है तथा इससे ही अंतर्ज्ञान का उदय होता है । इस तरह बोधात्मक कुशलता, अंतर्ज्ञान, स्मृति और जागृत बुद्धि - इन चारों के संयोग से इस संसार में एक नवीन उत्पाद का सृजन होता है । चाहे वह कोई प्रसाधन सामग्री हो या फिर शेयर बाजार से जुड़ा कोई उत्कृष्ट विचार, ये सब इन चारों के एक लय में आने से ही संभव हैं ।
प्रश्न : गुरुजी, जब अतंर्ज्ञान जगता है तो क्या हम बुद्धि का उपयोग कर स्वतंत्र होकर उस कार्य केे लिए आगे बढ़ते हैं ? चुनने की स्वतंत्रता और नियति एक़ दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं ?
श्री श्री : बुद्धि की स्वतंत्र इच्छा में भी भूमिका होती है । अगर ईश्वर हमें स्वतंत्र बुद्धि न दे तो वह चुनने की स्वतंत्रता को भी हमारे जीवन से निकाल देगा ।
इसलिए जानवरों के जीवन में स्वतंत्रता की इ्चछा नहीं होती है । जानवर प्रकृति के नियमों के अनुसार चलते है और उन्हें चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती है । चुनने की स्वतंत्रता के लिए केवल बुद्धि में ही उपस्थित होती है । चुनाव और स्वतंत्र इच्छा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । अगर तुम्हें चुनने की स्वतंत्रता दी जा रही है तो इसका मतलब है कि तुम्हें स्वतंत्र इच्छा है जो असीमित है । तु जो चाहो चुन सकते हो । जैसे अगर तुम अगर अमेरिका में कपड़े की दुकान पर जाओ तो तुम्हारे पास सीमित विकल्प होंगे परंतु तुम अगर किसी उष्ण कटिबंधीय देश जैसे दक्षिणी अमेरिका या भारत में जाओ तो और विकल्प होंगे परंतु वह भी सीमित ही होंगे । तुम्हें वहाँ और रंग-बिरंगे परिधान मिलेंगे । यहाँ अमेरिका में वह काला, भूरा, सफेद अादि । परंतु कैलिफोर्निया इससे थोड़ा अलग है (हँसते हुए)।

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