केन उपनिषद्
पृष्ठ २९
अध्याय ०६
अनन्त की अनुभूति
प्रश्न : दूसरा प्रश्न स्मृति के विषय में था । आपने बताया था कि कैसे अलग अलग समय में अलग अलग चीजें स्मृति में संग्रहित होती है । स्मृति कैसे काम करती है ?
श्री श्री : अधिकतर ऐसे अनुभव जो बहुत गहरे होते हैं वह हमारी स्मृति में संग्रहित होते है परंतु भी कभी कभी हल्की स्मृतियाँ भी होती हैं । उदाहरण के लिए - तुमने ऐसे ही कभी किसी से वार्तालाप किया हो और तुम अपने स्वप्न में उसी वार्तालाप को देखते हो जिसका तुम्हारे लिए कोई विशेष महत्व नहीं होता है । स्मृति कैसे काम करती है, यह बताना थोड़ा जटिल है । वह क्षण जो तुम्हें अत्यधिक प्रसन्नता देते हैं वह भी स्मृति में संग्रहित होते हैं और जिन क्षणों में तुम्हें अत्यधिक दु:ख या पीड़ा मिली हो, वह भी तुम्हारी स्मृति में संग्रहित हो जाते हैं । जिन क्षणों में तुम्हारे अहम् को ठेस लगती है वह भी तुम्हारी स्मृति में रहते हैं जिनमें तुम्हारे अहम् को बल मिला हो वह भी तुम्हारी स्मृति में औरों की अपेक्षा ज्यादा संग्रहित होते हैं । कभी कभी ऐसे ही घटित कुछ घटनायें भी स्मृति पर छाप छोड़ देती है । तुम सुबह कभी उठो तो तुम्हें लगता है कि तुम किसी से बातें कर रहे हो परंतु वास्तव में वहाँ कोई नहीं होता है । तुम्हारे साथ ऐसा कभी हुआ है ? तुम तीन चार लोगों से बात कर रहे हो । किसी से कह रहे हो - ' तुम इभी यहाँ से जाओ । तुम बाजार जाओ । तुम यह करो । मैं तुमसे अभी नहीं मिलना चाहता ' और ऐसा ही कुछ और । तुम कुछ वार्तालाप कर रहे होते हो और तुम्हें लगता है जैसे सच में ऐसा हो रहा है परंतु तुम जब जागते हो तुम्हें पता लगता है कि वहाँ पर कोई है ही नहीं, तुम अकेले हो । यह सब स्मृति पर और हमारी चेतना पर छाप छोड़ देता है । जब भी तुम कोई पुस्तक पढ़ते हो या चलचित्र देखते हो तो उसकी छाप तुम्हारी स्मृति पर पड़ जाती है परंतु स्मृति पर गहरा प्रभाव पड़ने पर उसका तुम्हारे मन पर भी असर होता है । ऐसा होने पर सबके परे उस एक चेतना का अनुभव करने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है । परंतु कोई भी स्मृति सदैव नहीं रहती है । सबकी एक सीमा है । चाहे कितनी ही सुखद या दु:खद हो । कुछ समय तक रहती है फिर धुंधली पड़ जाती है ।
प्रश्न : क्या स्मृति एक व्यक्ति विशेष के स्तर पर होती है या सार्वलौकिक स्तर पर ?
श्री श्री : जब हम स्मृति की बात करते हैं तो वह व्यक्ति विशेष के स्तर पर होती है । हम उसको सार्वलैकिक चेतना स्मृति न कहकर, ज्ञान का नाम देते हैं । वह ज्ञान जो चेतना में व्याप्त है ।

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