केन उपनिषद्
पृष्ठ ३३
अध्याय ०७
ब्रह्माण्ड का रहस्य उद् घाटन
चीनी सभ्यता में पूर्वजों की उपासना करने की प्रथा है ।यहाँ तक कि ब्राजील, अर्जेंटिना और लैटिन अमेरिका में भी लोग पूर्वजों को पूजते है । मुझे लगता है कि इसाई परंपरा में भी ' ऑल सोल्स डे ' हैं, जिसमें सभी दिवंगत आत्माओं का सम्मान करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं । इसी कारण मृत शरीर को गिरजाघर के पीछे दफनाते हैं ताकि वह स्थान और शांतिपूर्ण बने । इस तरह पूर्वजों में थोड़ी और शक्ति होती है ।
संस्कृत में पूर्वजों को कहते है - पितृ । एक और आत्मा हैं जो पितृओं से भी एक श्रेणी उच्च है । उनको कहते है - किन्नर । किन्नर वह आत्मायें हैं जो बड़े सामाजिक कार्य या राजनीतिक व्यवस्था में सम्मिलित रहते हैं ।
इसके बाद आते हैं - गंधर्व, जो किसी भी सफल कलाकार के पीछे होते हैं । किसी भी महान संगीतकार के पीछे गंधर्व आत्मा का हाथ होता है जो उसे सम्मान दिलाती है । वैसे तो ऐसे लोग और लोगों के जीवन में आनंद और प्रसन्नता फैलाते हैं, परंतु उनका अपना जीवन बहुत दु: खद होता है । अब माइकल जैक्सन के जीवन को ही देखें तो उसने कितने लोगों के जीवन में आनंद फैलाया परंतु उसका अपना व्यक्तिगत जीवन कितना दु:खमय था ।
ऐसा गंधर्व आत्मा के कारण होता है, जिनके द्वारा कलाकार गण दूसरों को तो सुख पहुँचाते है परंतु उन का अपना जीवन दु:खमय होता है । माइकल जैक्सन तो एक उदाहरण है । इसके अलावा कितने ही संगीतकार और प्रसिद्ध हस्तियाँ है । जैसे बिथोविन । तुम इतिहास उठा कर देख लो सब मैं एक ही पैटर्न दिखेगा । केवल वे ही संगीतकार प्रसन्न होते हैं जिन्हें यह मार्ग मिल जाता है, जिनके जीवन में गुरु होता है ।अगर उन्हें गुरु मिल गया, यह मार्ग मिला तो वे मुक्त हो जाते हैं । अन्यथा वे प्रसिद्ध होते हैं, दूसरों को सुख भी पहुँचाते हैं, परंतु उनका अपना जीवन दु:खमय होता है ।
फिर गंधर्व के बाद एक और श्रेणी आती है - यक्ष की । यह यक्ष की श्रेणी - बहुत सारा धन - सम्पत्ति देती है । तो, बहुत धनी लोगों के ऊपर यक्ष का आशीर्वाद होता है । यहाँ पर फिर, यक्ष उन्हें आराम तो पहुँचाते हैं लेकिन ऐसे लोगों कोअपनी संतानों की ओर से सुख नहीं मिलता है । यक्षों के आशीर्वाद से धन्य लोग अपने संतानों के आचार व्यवहार या उनके पेशे से संतुष्ट नहीं रहते हैं । कुछ ऐसा होता है, जिससे वे वह अपनी संतानों की तरफ से संतुष्ट नहीं रहते हैं । अगर एक वंश में ऐसा न हो तो तीन पीढ़ियों के बीच एक में ऐसा अवश्य होता है । यहाँ पर भी अगर वह आध्यात्मिक मार्ग पर हो तो इससे बच सकता है । सभी स्थान पर यक्ष आत्मायें उपस्थित होती है । चाहे वह न्यूयार्क हो या लॉस ऐंजिल्स ।
यक्षों से एक श्रेणी ऊपर हैं - देवता और उसके बाद सिध्द या संपूर्ण मानव । इस तरह यक्षों के बाद सिर्फ एक स्तर है - देवता या दूतों का । देवता, यक्ष और सिद्ध की श्रेणी के बीच में आते है । तैंतीस प्रकार के देवता होते हैं और हमारा शरीर इनसे नियंत्रित होता है । एक कोशिका विभाजित हो कर पूरे शरीर का निर्माण करती है । एक ही कोशिका से कहीं पर आँखों तो कहीं पर नाक, नाखून, बाल या हड्डियों का निर्माण होता है । इस कोशिका में इतनी बुद्धिमत्ता होती है कि शरीर में तैंतीस विभिन्न प्रकार की संवेदनाये पैदा होती है, जे तैंतीस प्रकार के देवताओं से प्रभावित होती है । इस तरह से यह ब्रह्माण्ड इन देवताओं के नियंत्रण में है । देवताओं को देवी या देवता भी कहते हैं जो दिव्यता का एक पहलू है । तुम ऐसा पूछ सकते हो ' जब ईश्वर एक है तो इतने सारे देवी और देवता कैसे हो सकते हैं ? हाँ ऐसा होता है । जैसे तुम चावल को ले लो । वैसे तो कहने को चावल एक अन्न है परंतु उसके भी कितने प्रकार होते है । अभी हाल में ही भारत में कृषि सम्मेलन हुआ था जहाँ पर उन लोगों ने चावल के एक सौ चौहत्तर प्रकार के विषय में बताया । सब एक दूसरे से अलग थे । बासमती, भूरा चावल, काला चावल, जापान का चिपचिपा सा चावल और ऐसे ही कितने अलग अलग प्रकार के चावल हैं । जापान और थाइलैंड़ में पाये जाने वाले चावल की किस्म, भारत और इंडोनेशिया में पाये जाने वाले चावल से अलग होती है । इस तरह चावल की अनेकों किस्में हैं । यह विश्व विविधताओं से भरा पड़ा है । लोग इसको समझने में असमर्थ हैं । तुम गेहूँ या केले को ही ले लो तो उसकी भी अलग - अलग किस्में पाई जाती हैं ।

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