केन उपनिषद्
पृष्ठ ३१
अध्याय ०६
अनन्त की अनुभूति
प्रश्न : गुरुजी क्या सृजनात्मकता, बुद्धि का कार्य है ? जैसे आप पहले बता रहे थे कि चार कारकों के संयोग से होता है ?
श्री श्री : जैसा कि मैंने पहले बताया बोधात्मक कुशलता, अंतर्ज्ञान, स्मृति और जागृत बुद्धि इन चारों के संयोग से सृजनात्मकता का जन्म होता है । ऐसा मैं सोचता हूँ । हो सकता है कि यह सही हो और हो सकता है कि न हो ।
प्रश्न : गुरुजी, क्या आप समय के चौथे आयाम के विषय में थोड़ा बतायेंगे ?
श्री श्री : मुझे लगता है कि हम लोगों को अभी तुरंत समय के चौथे आयाम से चले जाना चाहिए । उसके के बाद हम दूसरे प्रश्नों पर जायेंगे । अपनी नासिका जाँचो । दोनों ?
श्रोता : दोनों ।
गुरुजी : दोनों ? कितनी की दोनों चल रही है ? सबकी ? अब समय की गहराई में जाने का ।

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