Que & Ans with Sri Sri
प्रश्न: मेरे प्यारे गुरूजी, आप कहते हैं, कि कर्म बदला नहीं जा सकता| सिर्फ कृपा से ही कर्म का बंधन छुट सकता है| कृपा क्या है, और क्या करने से कृपा को ला सकते हैं?
श्री श्री रवि शंकरजी : - ऐसा कोई भी काम जो विकासवादी है, और जो जीवन का भरण-पोषण करता है, नि:स्वार्थ निष्ठावान सेवा| ऐसा नहीं कि मैं कोई सेवा करूँ, और फिर सोचूँ, कि मुझे बदले में क्या मिलेगा? नहीं, वह सेवा नहीं है| सेवा ऐसा कृत्य है, जिसके बदले में हम कुछ नहीं चाहते| यह कृत्य बहुत महत्वपूर्ण है| सेवा हमारे कर्मों की शुद्धि करती है|
भारत में कहावत है, ‘एक चम्मच घी को चावल पर डालने से चावल शुद्ध हो जातें हैं| पता है क्यों? क्योंकि अगर आप बिना घी के चावल खायेंगे तो वह बहुत जल्दी पच जाएगा और बहुत जल्दी ‘शुगर’ बन जायेगा| इसलिए बहुत से लोग जो चावल बिना घी के खाते हैं, उन्हें मधुमेह (डायबिटीज़) हो जाता है|
एक बार एक हृदयरोग विशेषज्ञ ने मुझे बताया था, कि जब भी आप अनाज लें, तो उसके साथ कुछ वसा भी लें| एक चम्मच घी से पाचन धीमा हो जाता है, और उससे आपका ह्रदय स्वस्थ तरीके से काम करता है| वह कार्बोहाइड्रेट बन जाता है, और शरीर में ‘शुगर’ की मात्रा को संतुलित रखता है| इसीलिए पुराने ज़माने के लोग कहते थे, कि ‘एक चम्मच घी से चावल शुद्ध होते है’|
ज्ञान बुद्धि को शुद्ध करता है| आपमें से कितने लोगों ने इस बात का अनुभव किया है, कि ‘ज्ञान बुद्धि को शुद्ध करता है’? सारा गुस्सा, लालसाएं, दूसरे लोगों से घृणा, सब दूर हो जाती है|
संगीत भावनाओं को शुद्ध करता है|
दान करने से आपके कमाए हुए पैसे की शुद्धि होती है| आप जितना कमाएँ, उसमे से कम से कम ३-४ प्रतिशत दान में देना चाहिए| अगर हम जो भी कमाएँ, वह सारा अपने ही ऊपर खर्च करें तो उसे शुद्ध धन या अच्छा धन नहीं माना जाता| दान देने से धन शुद्ध होता है और फिर शेष बचे हुए धन का आप आनंद उठा सकते हैं| नहीं तो, पैसा सिर्फ अस्पतालों में या इधर उधर जाता है|
प्रार्थना मन की शुद्धि करती है|
ध्यान आत्मा की शुद्धि करता है|
आयुर्वेद, त्रिफला शरीर की शुद्धि करते हैं और आँतों को स्वच्छ करते हैं| आप हमेशा शरीर में भोजन ठूंसते रहते हैं, लेकिन कभी कभी आपको अपने शरीर की प्रणाली (सिस्टम) को साफ़ भी करना चाहिए| ४-५ गोलियाँ रात में सोने से पहले लेने से, सुबह पेट एकदम साफ़| इसलिए आयुर्वेद, योग, प्राणायाम और व्यायाम शरीर की शुद्धि करते हैं|
प्राणायाम से पूरी प्रणाली शुद्ध होती है, मन शरीर सब कुछ| इसीलिए सुदर्शन क्रिया के बाद आप इतना स्वच्छ और निर्मल महसूस करते हैं| वह आपको सारे कर्मों से शुद्ध कर देती है, जिससे वह प्रांजलता, स्पष्टता आती है|

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