प्रश्न : गुरुदेव, क्या सभी पांच तत्व बराबर हैं, या फिर आकाश तत्व बाकी तत्वों से श्रेष्ठतर है?
श्री श्री रविशंकर : हाँ, पाँचों तत्वों में से आकाश तत्व थोड़ा अलग है। आकाश सिर्फ एक साक्षी है – आत्मा की तरह।बाकी सभी चार तत्व आकाश तत्व के अंदर निहित हैं।
आकाश के बिना ना तो पृथिवी है, न जल, न वायु और न ही अग्नि। इन चारों तत्वों का आधार ही आकाश तत्व है, और आकाश तत्व इनमें से किसी भी तत्व का विरोध नहीं करता। अगर आप देखें, तो जल और अग्नि के बीच एक गहरा सम्बन्ध है और वे एक दूसरे के विपरीत हैं। जल अग्नि को बुझा देता है, और अग्नि जल को वाष्प बना देती है, अग्नि पानी को सुखा सकती है। इसी तरह, वायु अग्नि को और तेज करती है, और वायु चाहे तो अग्नि को बुझा भी सकती है। अगर आप इस दृष्टिकोण से देखें, तो आप पाएंगे, कि सभी पांच तत्व एक दूसरे के विरोधी हैं, और वे एक दूसरे के पूरक भी है। उनमें से कोई भी दूसरे के बिना नहीं रह सकतॆ। इसीलिये, पाँचों तत्वों को एक साथ जोड़ दिया जाता है, और उन्हें ‘प्रपंच’ कहा जाता है।
इसलिए, आकाश तत्व जो बाकी सभी चारों तत्वों का साक्षी है, वह अछूता है, और अप्रभावित है। वह साक्षी है। इसीलिये आकाश तत्व को आत्मा के समरूप मानते हैं।
इसी तरह, मनुष्यों में, मन, बुद्धि, स्मृति और अहंकार; ये चार मौजूद हैं, और आत्मा इन सबकी साक्षी है। ये चारों आत्मा में विराजमान हैं, और ये अपने अपने स्वभाव के अनुसार काम करते हैं।कभी कभी मन में अशांति होती है,और कभी कभी मन और बुद्धि का संघर्ष हो जाता है। कभी कभी स्मृति और अहंकार अपना खेल खेलते हैं,मगर आत्मा इन सबका केवल साक्षी है।
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