प्रश्न:प्रिय गुरूदेव एक भक्त का जीवन कैसा होना चाहिए?
तीन बातें भक्त के जीवन में जरूर होनी चाहिएं , प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा। भक्ति के मार्ग में प्रतीक्षा बहुत आवश्यक है। प्रभु जरूर आयेंगे , कृपा करेंगे , ऐसा विश्वास रखते हुए प्रतीक्षा करें। बहुत बड़ी प्रतीक्षा के बाद शबरी की कुटिया में प्रभु आये थे।
परीक्षा- संसार की परीक्षा करते रहें। इस संसार में सब अपने कारणों से जी रहे हैं। किसी के भी महत्वाकांक्षा के मार्ग पर बाधा बनोगे वही तुम्हारा अपना , पराया हो जायेगा। संसार का तो प्रेम भी छलावा है। संसार को जितना जल्दी समझ लो तो अच्छा है ताकि प्रभु के मार्ग पर तुम जल्दी आगे बढ़ो।
समीक्षा- अपनी समीक्षा रोज करते रहो, आत्मचिन्तन करो। जीवन उत्सव कैसे बने ? प्रत्येक क्षण उल्लासमय कैसे बने ? जीवन संगीत कैसे बने, यह चिन्तन जरूर करना। कुछ छोड़ना पड़े तो छोड़ने की हिम्मत करना और कुछ पकड़ना पड़े तो पकड़ने की हिम्मत रखना। अपनी समीक्षा से ही आगे के रास्ते दिखेंगे।
यदि आप शब्दों को हेरफेर करते हैं तो यह एक झूठ है, अगर आप शब्दों से खेलते हैं तो यह एक मजाक है, अगर आप शब्दों पर भरोसा करते हैं तो यह अज्ञानता है, अगर आप शब्दों से पार हो जाते हैं तो यह ज्ञान है।
~ श्री श्री रविशंकर

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