प्रश्न: प्रिय गुरूजी, सादर प्रणाम, मेरा सवाल ये है कि हम सबको पूरा ज्ञान है कि और लोगों को अपना जीवन कैसे व्यतीत करना चाहिए, परन्तु बहुत कम लोगों को अपने जीवन के बारे में ये ज्ञान है| ऐसा क्यों और हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं?
क्या अब आप अपने बारे में, अपने जीवनसाथी या किसी और के बारे में बात कर रहे हैं ?
आपका साथी अवश्य आपको सुझाव देगा कि आपको कैसे रहना चाहिए, क्या करना चाहिए, आपकी माँ भी आपको परामर्श देंगी, आपकी बहन अपना हुकुम चलाएगी, और आपकी बेटी भी आपको बताएगी कि पापा आपको ऐसे व्यवहार करना चाहिए| यहीं महिलाओं के साथ भी होता है| आपके पति भी आपको बताएँगे, आपका भाई भी आपको परामर्श देगा|
आप परामर्शों से घिर जायेंगे| उनको स्वीकार करिये और सुनिए पर अपने कार्य पर से दृष्टि नहीं हटाईये| अपने लक्ष्य को मत भूलिए| अपने लिए और समाज के लिए एक लक्ष्य बनाइये| आप समाज को कहाँ जाते देखना चाहते हैं? परामर्श बुरे नहीं होते| आप सभी परामर्शों को नहीं छोड़ सकते| पर साथ ही आप सबको भी नहीं अमल कर सकते|
इस लिए, अपना मन खुला रखिये| आप क्या चाहते हैं जीवन में? आपने क्या प्रगति की है ? इसको देखिये|
कभी कभी हमें अपने स्वयं के मन की सोच को परखना पड़ता है| हम कहाँ जा रहे हैं ? मुझे क्या चाहिए ? जो मैंने किया क्या वो सही था, या जो मैं करने जा रहा हूँ, वो सही है? यह आत्मदर्शन आवश्यक है|
~श्री श्री रविशंकर

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