Que & Ans with Sri Sri
प्रश्न : ओम शब्द और उसके महत्व के बारे में कुछ बतायें।
श्री श्री रवि शंकरजी : - इसे एक कर्तल ध्वनि, यानि एक हाथ की ताली की आवाज़ में भी सुन सकते हैं। एक ऐसा शब्द जो ब्रह्मांड में उत्पन्न हुआ है, किसी घर्षण से नहीं, वही सर्वलौकिक शब्द है ओम । पुरातन काल में कुछ ऋषियों ने गहन ध्यान में इस शब्द को सुना और तब से, लाखों वर्षों से किसी न किसी तरह से इसका उच्चारण हो रहा है।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओम शब्द की ध्वनि की frequency पृथ्वी की अपनी धुर्री पर घूमने की रफ़्तार के बिल्कुल एक समान है।
ओम ध्वनि के स्पन्दन से प्राण शक्ति हमारे समूचे शरीर में प्रसारित होती है। ओम शब्द की ध्वनि प्रकृति की ही प्रतिध्वनि है। सागर के किनारे खड़े होकर यदि तुम उठती गिरती लहरों की आवाज़ ध्यान से सुनो, तो ओम की ही ध्वनि सुन पाओगे। ऊंचे पर्वत के शिखर पर खड़े होकर बहती हवा की आवाज़ सुनो-ओम की ही आवाज़ सुनने को मिलती।
चीन के एक प्रसिद्ध डाक्टर ने, जो सात बड़ी बीमारियों से स्वयं पीड़ित थे, अपना यह अनुभव सुनाया कि उन्हें ५०० ग्राम दवाई का हर रोज़ सेवन करना पड़ता था पर कोई लाभ नहीं हो रहा था। फिर उन्होंने १-२ घंटे प्रतिदिन ओम के साथ अभ्यास करना शुरू किया और दो वर्ष में ही वे उन सब बीमारियों से छुटकारा पागये जिनको दवाइयों द्वरा ठीक करना असम्भव था। उनके अन्य साथियों के लिये यह अचरज की बात थी। अब वो Music therapy के नाम से चीन के लोगों को अपने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर सिखा रहे हैं!
यह अपना अनुभव जब उन्होंने सुनाया तब हमने कहा कि यह तो वही तथ्य है जो महर्षि पतांजलि ने वर्षों पूर्व कहा - "एक तत्व अभ्यास" ( एक तत्व या सिद्धान्त का अभ्यास करो। चीन में अब ओम के गान द्वारा उपचार को Music Therapy कहा जा रहा है।
ध्वनि एक ऊर्जा ही है, विद्युत की धारा ही है। हमारा सम्पूर्ण शरीर भी विद्युत शक्ति है और ओम का हमारे शरीर के सभी कोषों पर प्रभाव पड़ता है।

THIS IS TO INFORM EVERYONE THAT EVERY INFORMATION PRESENT IN THIS WEBSITE IS COLLECTED FROM NON COPYRIGHT CONTENT AVAILABLE IN INTERNET.
No comments:
Post a Comment