मनुष्य को मापने की एक कसौटी है कि वह प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी प्रसन्नता व संयम को कैसे कायम रखता है। यह एक महत्वपूर्ण मापदण्ड है। परिस्थितियाँ अनुकूल हो और तुम जीवन में सफलता की सीढियाँ चढ़ रहे हो- ऐसे में प्रसन्न रहना, इतना प्रशंसनीय नही है परन्तु जीवन में कड़वे अनुभवों एवम् दुर्घटनाओं के बावजूद तथा विपरीत परिस्थितियों में मुस्कुराते रहना कहीं अधिक सराहनीय है। "चाहे मेरा सर्वस्व नष्ट हो जाए - यह संसार विलीन हो जाए परंतु मैं अपनी प्रसन्नता नही खोने वाला, मैं दुःखी नही होने वाला"। यह भाव शक्ति का परिचायक है और ऐसी ही मनोवृत्ति होनी चाहिए।
~श्री श्री रविशंकर

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