प्रश्न:गुरूजी मुझे लगता है कि मै अत्यंत ऊब जाने की समस्या से पीड़ित हूँ | मैं हर बात से बहुत ही जल्दी और आसानी से ऊब जाता हूँ, मैं परिस्थिति,लोग,और स्थान से ऊब जाता हूँ| क्या मेरी समस्या का कोई समाधान है ?
श्री श्री रवि शंकरजी : ऊब जाना ! जब आप हर बात से ऊब जाते है तो फिर आप क्या करते है| मुझे सोचने दीजिये कि आप क्या कर सकते है!
यह ऐसा इसलिए है क्योंकि आप सिर्फ अपने बारे मे सोच रहे है,| जब आपको पता नहीं होता है कि आपको क्या सुख प्राप्त होने वाला हैं तो आप ऊब जाते है, क्योंकि यह संसार वास्तव मे आपको संतुष्ट कर ही नहीं सकता, वह सिर्फ आपको उबा सकता है,परन्तु जब आप मे सेवा करने की भावना होती हैं,और लेने की नहीं तो फिर आप कभी भी ऊब नहीं सकते | आप सोच सकते कि मैं क्या कर सकता हूँ,और मैं कैसे उपयोगी हो सकता हूँ | यदि आप इन बिन्दुयो पर विचार करते हुये किसी उद्देश्य के लिये अपने जीवन को समर्पित करेंगे तो आप उससे कभी भी ऊब नहीं पायेंगे परन्तु यदि आप कृत्य मे सुख पाने की अपेक्षा कर रहे, तो आप ऊब जायेंगे | ऊब जाने का सरल अर्थ है क्या ?
आपने कृत्य में खुशी या आनंद की अपेक्षा करी जो आपको मिली नहीं | इस दुनिया से आपने कुछ खुशी या आनंद की अपेक्षा करी जो आपको मिली नहीं और आप ऊब गये | शुरुआत मे किसी वस्तु या परिस्थिति ने आपको खुशी या आनंद प्रदान किया और आप उसे दोहराते गये और फिर उससे ऊब गये | इसलिए कृत्य मे खुशी या आनंद को खोजना बंद कर दे और जान ले कि आप स्वयं ही आनंद है, फिर आप खुशी या आनंद की तलाश नहीं करेंगे और निराश या ऊब नहीं जायेंगे |
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