*Hindi Translation*
श्री श्री ने काष्मीर को दिया पैगाम-ए-मोहब्बत का संदेष
आर्ट आॅफ लिविंग ने काष्मीर विवाद को विराम देने के लिए बैंगलुरू में आयोजित किया कार्यक्रम
कार्यक्रम में श्री श्री ने काष्मीर को पैगाम-ए-मोहब्बत भेजा –
ऽ मारे गए आतंकियों, सेना के लोग और आम जन सभी काष्मीरियों को एक मंच पर लाया गया
ऽ 200 प्रभावित परिवार जिनमें महिलाएॅं भी षामिल थी, ने कार्यक्रम में षिरकत की।
बैंगलुरू, नवम्बर 10, 2017. गुरूदेव श्री श्री रविषंकर जी ने आर्ट आॅफ लिविंग के इंटरनेषनल केन्द्र में काष्मीर में चल रहे संघर्ष के पीडितों के सम्मेलन का आगा़ज किया जिसमें पैगाम-ए-मोहब्बत के तहत कई तरह की भावनाओं का आदान-प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम में मारे गए आतंकवादियों के परिवार, संघर्ष में प्रभावित परिवार और पूरे भारत से सेना के षहीदों के परिवार के साथ उपस्थित थे। प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधि जिनमें 60 महिलाएॅं भी थी और जो सुदूर काष्मीर से यात्रा कर बैंगलुरू इस कार्यक्रम हेतु पहुॅचे थे।
यह सचमुच में एक दिल को छू लेने वाला पल था कि परिजनों ने अपने अपने दर्द बयान किए और उस आतंकवाद की संस्कृति को त्यागना की अभिव्यक्ति दी, जिसने उनके परिजन छीन लिए।
इस अवसर पर गुरूदेव ने कहा, ‘‘जब परिवार हिंसा के षिकार हों तब उन्हे क्षमा के भव से आगे आना चाहिये और तभी एक अहिंसात्मक समाज का निर्माण हो सकता है। मुझे आषा ही नहीं विष्वास भी है कि इस नए रास्ते पर कई युवा चलेंगे।’’ उन्हौने आगे कहा कि, ‘‘जब तक हम उन चोंटो पर मरहम नहीं लगाएॅंगे तब तक यह हिंसा की कडी चलती ही रहेगी।’’
श्री श्री ने आगे बोलते हुए कहा कि, ‘‘प्रत्येक हदय में कहीं न कहीं करूणा है और हमें हिंसा और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के इस खेल को यही छोडना होगा तभी हम सफल हो सकते हैं।’’
जब एक पूर्व आतंकवादी अब्दुल माजिद ने कहा कि, ‘‘युवाओं को अपनी बंदूकें फैंक कर षांति मार्ग अपनाना चाहिये ।हम यहाॅं इसलिए आए हैं क्योंकि गुरूदेव बहुत ही बड़े व्यक्ति हैं और उन्हौने बहुत बडे़-बडे़ काम किये हैं। हमें आषा है कि हमें यहाॅं हमारी समस्याओं का हल बातचीत से मिलेगा।’’
कार्यक्रम में गंदरबल के एजाज अहमद मीर ने कहा कि, ‘‘हम यहाॅं बहुत सारी आषाएॅं लेकर आए हैं और हमने यह उम्मीद भी नहीं की थी कि हम ऐसी जगह पर आ भी पाएॅंगे। हमने बहुत कुछ खोया है। हम यहाॅं से आपे देष से प्रेम और भाईचारे का संदेष ले जा रहे हैं और इसे फैलाएॅंगे। भिंडीपोरा के नसीर लोन ने कहा कि हमें कोई सुनता ही नहीं है और हमारे जैसे लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिये। इसलिए हम यहाॅं आए हैं और गुरूदेव को भी यही कहना चाहते हैं।’’
एक अफसर की विधवा ने कहा कि, ‘‘हम किसी के भी विरोधी नहीं हैं। हमारा गुस्सा उन परिस्थितियों पर है जो काष्मीर को हिंसक बनाए हुए है। हमें आषा है कि गुरूदेव इसका हल निकालेंगे।’’
ष्हम परिवार के दर्द को भी महसूस करते हैं जो कश्मीर में ड्यूटी के दौरान मारे जा रहे हैंए लेकिन हम भी उनके हाथों में पीड़ित हैं। हमें इसका अंत करना चाहिए। हम गुरुदेव की पहल की सराहना करते हैंएष् एक परिवार के परिवार से कश्मीरी महिला मारे गए आतंकवादी ने शहीदों के परिवारों के साथ भावनात्मक क्षण साझा करते हुए कहा।
साथी महिला ने कहा कि हम महिलाओं का कोई राजनैतिक मकसद नहीं है इसलिए हम दिलों को जोड़ सकती हैं।
फयाज अहमद जो बारामुला से हैं और हिंसा के मार्ग को गलत बताते हुए कहा कि मैरे पिता को 1999 में जलाया गया और मारा गया। हम चाहते हैं कि फिर से यह दोहराया नहीं जाय।
एक पूर्व आतंकवादी गुलाम हुसैन कहते हैं, ‘‘दोनों ओर के लोग मारे जा रहे हैं चाहे वे सेना से हों या फिर दूसरी तरफ से। हम रातों को सो नहीं पाते हैं और दिन में भी बाहर नहीं जा सकते हैं। हम गुरूदेव के पास षांति और सहायता के लिए आए हैं।’’
वर्ष 2004 से काष्मीर में आर्ट आॅफ लिविंग कार्य कर रहा है और वहाॅं के कार्यक्रम निदेषक संजय कुमार ने इस अवसर पर कहा कि ’’पिछले दषक में हमने कथित पाकिस्तानी लीडर्स, स्टोन प्लैटर्स, सूफी संत, बुद्धिजीवियों और समस्त हितग्राहियों से लगातार संपर्क रखा है। विवाद का निपटान और एक पुल की तरह कार्य करना हमने इस काष्ूीर की घाटियों में जारी रखा है।’’
इसके अलावाए घाटी के कई प्रतिनिधियों ने गुरुदेव से मुलाकात की और घाटी में विश्वास और शांति के पुनर्निर्माण के लिए हस्तक्षेप की मांग की। इनमें मारे गए आतंकवादियों और शहीदों के परिवारों के सदस्य शामिल हैं। हुजबुल मुजाहिदीन के नेता बुरहान वाणी के पिता मुजफ्फर वाणी ने पिछले साल बंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में गुरुदेव से मुलाकात की थी।
विदित है कि आर्ट आॅफ लिविंग 2004 से काष्मीर में आतंक प्रभावितों को आघात नियंत्रण, बातचीत, जैलों में तनाव प्रबंधन, सेना में तनाव प्रबंधन और युवाओं को संस्कारित करने जैसे कार्यों को अमली जामा पहना रहा है।
गुरुदेव विरोधी पार्टियों को सुलह करने के लिए कोई अजनबी नहीं है। उन्होंने कोलम्बिया के विद्रोही समूह एफएआरसी ;कोलंबिया के क्रांतिकारी सशस्त्र बलद्ध के नेताओं को समझकर 2015 में कोलंबिया में भूमिका निभाईए जो बातचीत के लिए वैश्विक दबाव तक पहुंच रहे थेए अहिंसा या अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत अपनाने के लिए। उनके पुनरुत्थान के प्रयासों ने न केवल विद्रोही समूह में ही खत्म किया है जो लगभग 220000 लोगों की जान ले चुका था। इसी तरह से गुरूदेव ने युगोस्लाविया में भी सिविल वार को खत्म किया था।
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