हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है।हरसिंगार का यह वृक्ष रात की रानी के नाम से भी जाना जाता है , क्योंकि इसके पुष्प रात के समय खिलकर वातावरण को सुगंधित करते है तथा झड़ जाते है | इस वृक्ष की पत्तिया गुडहल के पत्तो की तरह चौड़ी होती है |हरसिंगार का प्रयोग चिकित्सा हेतु भी किया जाता है |
पारिजात के लाभ घरेलू उपाय :
पेट के कीड़े :
बच्चों के पेट में कीड़े होने पर इसके पत्तो के रस में शक्कर मिलाकर पिलाने से कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते है |
कब्ज :
बच्चों को कब्ज होने पर हरसिंगार पत्तो का स्वरस देने से लाभ होता है |
खाँसी –दमा :
इसकी छाल के चूर्ण को पान में रखकर खाने से खाँसी तथा दमा रोग में लाभ होता है |
सायटिका-
उपयोग : इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है। हरसिंगार पत्तों का धीमी आंच पर बनाया गया क्वाथ सियेटिका में अंत्यत लाभदायक होता है |
ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।
पीलिया :
इसके पत्तो के स्वरस का सेवन लौह भस्म के साथ करने से पीलिया रोग दूर होता है |
मलेरिया :
इसके पत्तो के स्वरस के साथ सौंठ , मरीच , पीपल का चूर्ण लेने से मलेरिया में लाभ होता है |
जीर्ण ज्वर :
इसके -७-८ नरम पत्तो का रस , आद्र्क रस तथा शहद के साथ सेवन करने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है | इस औषधि का सेवन करते समय दूध , घी व शक्कर का अधिक करे |
ह्रदय की दुर्बलता :
हरसिंगार के सफेद फूलों की डंडी अलग करके फूलों से दोगनी पिसी हुई शक्कर मिलाकर शीशी में भरपूर धूप में रख दे | सवा महीने बाद इस गुलचंद की २० ग्राम रोज सुबह खाने से गर्मी में बढ़ी ह्रदय की धडकन दूर होकर ह्रदय शक्तिशाली बनता है |
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