जब त्वचा की सतह पर जलन का एहसास होता है और त्वचा को खरोंचने का मन करता है तो उस बोध को खुजली कहते हैं। खुजली के कई कारण होते हैं जैसे कि तनाव और चिंता, शुष्क त्वचा, अधिक समय तक धूप में रहना, औषधि की विपरीत प्रतिक्रिया, मच्छर या किसी और जंतु का दंश, फंफुदीय संक्रमण, अवैध यौन संबंध के कारण, संक्रमित रोग की वजह से, या त्वचा पर फुंसियाँ, सिर या शरीर के अन्य हिस्सों में जुओं की मौजूदगी इत्यादि से।
चार प्रकार की होती है खुजली (Types of Itching Skin)
बिना दानों के खुजली
दाने वाली खुजली
बिना दाने या दाने वाली खुजली के कारण खुजली के अन्य लक्षण उत्पन्न होते हैं। खुजली पूरी त्वचा, सिर, मुख, पांव, अंगुलियों, नाक, हाथ या प्रजनन अंग आदि अंगों में हो जाती है। खुजली अधिकतर इन्हीं स्थानों पर होती है
बिना दानों वाली या दानों वाली खुजली खुश्क या तर हो सकती है
इन कारणों से होती है खुजली
शुष्क त्वचा (Dry Skin)- ड्राई स्किन वाले लोगों को खुजली की शिकायत ज्यादा होती है। उन्हें तापमान अनुकूल नहीं मिलने की वजह से भी परेशानी होती है। गर्मी में अधिक ताप होने से हर समय पसीना आता रहता है। बाहर से घर लौटने पर सारा शरीर पसीने से भीगा होता है, लेकिन एसी, पंखे व कूलर की ठंडी हवा से कुछ देर में पसीना सूख जाता है। शरीर पर पसीना सूख जाने से खुजली होती है।
जाड़े में सर्द हवा के प्रकोप से जब त्वचा शुष्क होकर फटने लगती है जिस वजह से खुजली की समस्या होती है वहीं गर्मी में घमोरियां इसका एक अन्य कारण है।
त्वचा की बीमारी और प्रकृति- आमतौर पर स्किन की बीमारियां खुजली उत्पन्न करती हैं। मसलन-
डर्माटिटीस (Dermatitis): त्वचा की सूजन
एक्जिमा (Eczema): यह स्किन का क्रॉनिक रोग है। इसमें खुजली, चकत्ते और स्किन रैशेज होता है।
सोरायसिस (Psoriasis): यह इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाने के कारण होता है। इसमें स्किन लाल हो जाती है और जलन का भी अनुभव होता है।
चिकनपॉक्स
खसरा
जूं
पाइनवर्म
खुजली होने पर सावधानी
खुजली होने पर प्राथमिक सावधानी के तौर पर सफ़ाई का पूरा ध्यान रखना चाहिये।खुजली का जब भी दौरा पडे, आप साफ़ मुलायम कपडे से उस स्थान को सहला दिजिये।प्रवॄति के अनुसार ठंडे या गरम पानी से उस स्थान को धो लिजिये ( किसी को ठंडे पानी से तो किसी को गरम पानी से आराम होता है, उसके मुताबिक अपने लिये पानी का चयन कर लें)।साबुन जितना कम कर सकते हैं कम कर लेना चाहिये, और सिर्फ़ मॄदु साबुन का ही उपयोग करें।कब्ज हो तो उसका इलाज करें।
खुजली के लिए आयुर्वेदिक उपचार
खुजली वाली जगह पर चन्दन का तेल लगाने से काफी राहत मिलती है। दशांग लेप, जो आयुर्वेद की 10 जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है, खुजली से काफी हद तक आराम दिलाता है। नीम का तेल, या नीम के पत्तों की लेई से भी खुजली से छुटकारा मिलता है। गंधक खुजली को ठीक करने के लिए बहुत ही बढ़िया उपचार माना जाता है। नीम के पाउडर का सेवन करने से त्वचा के संक्रमण और खुजली से आराम मिलता है। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन करने से भी खुजली से छुटकारा मिलता है। नींबू का रस बराबर मात्रा में अलसी के तेल के साथ मिलाकर खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिलता है। नारियल के ताज़े रस और टमाटर का मिश्रण खुजली वाली जगह पर लगाने से भी खुजली दूर हो जाती है। शुष्क त्वचा के कारण होनेवाली खुजली को दूध की क्रीम लगाने से कम किया जा सकता है। 25 ग्राम आम के पेड़ की छाल, और 25 ग्राम बबूल के पेड़ की छाल को एक लीटर पानी में उबाल लें, और इस पानी से ग्रसित जगह पर भाप लें। जब यह प्रक्रिया हो जाए तो ग्रसित जगह पर घी थपथपाकर लगायें। खुजली गायब हो जाएगी।
स्किन को हाइड्रेटेड रखने के लिए मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें
बेकिंग सोडा, खुजली की समस्या को कम करता है
एंटी इचिंग ओटीसी क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं
ब्लड इंफेक्शन से खुजली होने पर नीम के पत्ते और काली मिर्च के दाने पीसकर पानी के साथ सेवन करें
नीम के पत्तों को पानी में उबालकर, छानकर स्नान करने से खुजली खत्म होती है
नारियल के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से खुजली से राहत मिलती है
नीम के पेड़ पर पकी निबौली खाने से खुजली कम होती है
सुबह-शाम टमाटर का रस पीने से खुजली खत्म होती है
डॉक्टर की सलाह से एंटी एलर्जिक दवाई लें
यदि आप कोई क्रीम या दवा लगाना न चाहें या लगाने पर भी आराम न हो तो घर पर ही यह चर्म रोगनाशक तेल बनाकर लगाएँ, इससे यह व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।
तेल बनाने की विधि :
पीठी से चार गुनी मात्रा में तिल का तेल और तेल से चार गुनी मात्रा में पानी लेकर मिलाकर एक बड़े बरतन में डाल दें। इसे मंदी आंच पर इतनी देर तक उबालें कि पानी जल जाए सिर्फ तेल बचे। इस तेल को शीशी में भरकर रख लें।
जहाँ भी खुजली चलती हो, दाद हो वहाँ या पूरे शरीर पर इस तेल की मलिश करें। यह तेल चमत्कारी प्रभाव करता है। लाभ होने तक यह मालिश जारी रखें, मालिश स्नान से पहले या सोते समय करें और चमत्कार देखें।
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